मूकनायक समाचार बालाघाट ब्यूरो ।आकाश घरडे़
संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा और मानवाधिकार आंदोलन के प्रकांड विद्वता डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 14 अप्रैल को 133 वीं जयंती मनाई गई. डॉ. अंबेडकर की जयंती पर उनके जनकल्याण के लिए किए गए अभूतपूर्व योगदान को याद किया जाता है. बाबा साहेब निचले तबके से तालुक रखते थे. बचपन से ही समाजिक भेदभाव का शिकार हुए. यही वजह थी कि समाज सुधारक बाबा भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर कमजोर लोगों के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया. महिलाओं को सशक्त बनाया. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 133 वीं जन्मजयंती पर शहर के अंबेडकर चौक में बड़ी संख्या में अनुयायियों और सर्वसमाज के लोगों ने उन्हें याद कर उन्हें नमन किया और बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. इससे पूर्व पूज्य भंते जी द्वारा आंबेडकरवादियों को त्रिशरण पंचशील ग्रहण करवाया और बाबा साहब एवं गौतम बुद्ध के भी सामाजिक लोगों के प्रति दिखाई गये भाव से अवगत कराया. आंबेडकर चौक में सामाजिक बंधुओं के साथ ही सामाजिक संगठन पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने डॉ. बाबा साहब को माल्यार्पण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया.
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि संविधान निर्माता भारतरत्न बोधिसत्व डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर एक विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाज सुधारक थे. जिन्होने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित करने के साथ ही अछूतों से सामाजिक
भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया और श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया, ऐसे डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर की आज जन्म जयंती पर हम सभी उन्हें नमन करते है. प्रातः 8 बजे अंबेडकर चौक पर स्थित डॉ. बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के उपरांत प्रातः 9 बजे अम्बेडकर चौक से एक रैली निकाली गई. जिसमंे महामानव बाबा साहब की जीवंत झांकी और डीजे पर बजते भीमगीतों पर युवाओं और हर वर्ग के लोगो ने झूमकर बाबा साहब अंबेडकर की जन्मजयंती की खुशी मनाई.
ज्योतिबा फूले एवं बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सार्वजनिक जयंती समारोह समिति के तत्वाधान में मनाई गई. संविधान के रचयिता भारत रत्न डॉ भीमराव आम्बेडकर की जयंती 14 अप्रैल रविवार को जिला मुख्यालय सहित अन्य तहसील और ग्रामीण अंचलों में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस अवसर पर कार्यक्रमों के आयोजन कर सामाजिक बंधुओं ने बाबासाहेब आंबेडकर को याद कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. इस अवसर पर संविधान रचयिता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए भारतीय समाज में दिए गए उनके योगदान और संविधान में प्रदत्त शक्तियों की जानकारी आम लोगों को देते हुए भारतीय संविधान का अनुसरण करने की बात कही गई.