Monday, December 23, 2024
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खंडननिष्कासित सचिव फैला रहा विवाद के पटाक्षेप का भ्रम, भड़का रहा अनुयायियों को।

गत 14 अप्रैल से डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मेमोरियल सोसायटी का विवाद आज भी जारी है।

इसका विवादित और निष्कासित सचिव राजेश वानखेड़े खुद को प्रशासन द्वारा क्लीन चिट देने का खोखला दावा कर रहा है। जबकि दूसरे पक्ष को जिलाधीश महोदय ने स्पष्ट आश्वासन दिया है कि जब तक समिति की निष्पक्ष जांच नहीं हो जाती तब तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।

गौरतलब है कि 24 सदस्यीय संस्था के 19 सदस्यों ने सचिव राजेश वानखेड़े द्वारा समिति के विधान के विपरीत कार्यों, सदस्यो से धोखाधड़ी, जयंती कार्यक्रम को होने नही देने, फंड जारी नहीं करने, भ्रष्टाचार करने, हिसाब किताब नहीं देने, 500 रुपए खर्चा करने की लिमिट के बावजूद हजारों लाखों रूपए खर्चा कर समिति को कर्ज में धकेलकर गंभीर आर्थिक अनियमितता करने, गैर जिम्मेदाराना व्यवहार और प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से संस्था की छवि धूमिल करने के आरोप में पहले पद से, बाद में संस्था से निष्कासित कर दिया था।

जिसके बाद से संस्था से निकाले गए राजेश वानखेड़े ने अपने मामा अरुण कुमार इंगले और पद प्रतिष्ठा के लालची नकली साहित्यकार डॉ अनिल गजभिए के साथ मिलकर षड्यंत्र रचना शुरू किया।

इन्होंने बहुमत नही होने के चलते 2 मई की रात के अंधेरे में जन्मभूमि के ताले तोड़कर दस्तावेजों की चोरी कर उसमे जालसाजी, हेराफेरी और फर्जीवाड़ा कर कथित लोगों को फर्जी सदस्य बनाया, जिसमें उसके भाई भतीजों रिश्तेदारों और चाटुकारों को सदस्य बनाया।

इस पूरे षडयंत्र में उसने बीमार भंते सुमेध बोधी को कोरे चेको और लेटरपैड पर साइन करने के लिए फसने के नाम पर डराकर अपने साथ कर लिया।

बाद में भंते के निधन के बाद उसी भंते के चेले धम्मदीप को भीम जन्मभूमि का अध्यक्ष बनने का लालच देकर साथ मिला लिया और फर्जी निर्वाचन दिखाकर उसे अध्यक्ष भी घोषित कर दिया और ऑडिट दाखिल करने की बात कर रहा है।

ये बता दें कि जिस ऑडिट को पंजीयक कार्यालय में जमा करने की बात कर रहा है उस ऑडिट पर प्रबंध कार्यकारिणी सदस्यों की स्वीकृति ली गई हैं? या उनके हस्ताक्षर है??? नहीं है।

इसने सबकुछ विधि के विपरीत कार्यवाही की है। जो आगे शून्य भी घोषित होगी।

इस पूरे विवाद का यदि पटाक्षेप हो सकता है तो उसका एकमात्र उपाय है धारा 26 के तहत संस्था का रिकॉर्ड जब्त किया जाना (ताकि इसमें कोई हेराफेरी ना की जा सके) यह रिकॉर्ड आज दिनांक तक भी जब्त नहीं हुआ, यह बड़ा फेलियर है। दूसरा पहलू धारा 32 के तहत संस्था की निष्पक्ष रूप से जांच किया जाना। जिसके एकमात्र अनुसंधान से ही सही क्या और गलत क्या सामने आ सकेगा।

यू तो राजेश वानखेड़े दबाव बनाकर मनघड़ंत बयान या पत्र दिखाकर ऐसी कार्यवाही करने में माहिर है। लेकिन ऐसे किसी भी कार्यवाही से कोई फर्क नहीं पड़ता।

फिर सांच को आंच क्या????

अब देखना है कि दो तिहाई सदस्यो के बहुमत को दरकिनार कर सच्चाई को झूठलाया जाता है या इसके झूठ, धोखाधड़ी, फरेब से की कार्यवाही को सही ठहराया जाता है।

इस संबंध में ज्ञापन देने जाने पर निश्चिंत रहने का आश्वासन देते हुए माननीय जिलाधीश महोदय ने सदस्यो को स्पष्ट किया था कि बिना समिति की निष्पक्ष जांच किए कोई कार्यवाही नहीं होने दी जाएगी।

बाबासाहेब अम्बेडकर के अनुयाई हमेशा सच के साथ है। जयभीम

निवेदक

भंते प्रज्ञाशील
अध्यक्ष
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू रजि 2917

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