प्रविण बागडे
नागपूर
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विश्व हृदय दिवस हर साल 29 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह हृदयरोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इन रोगों के वैश्विक प्रभाव को कम करने व रणनीतियों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। ‘विश्व हृदय दिवस’ का मुख्य उद्देश्य लोगों को हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। पिछले कुछ वर्षों में हृदयरोग से संबंधित बीमारियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यहां तक कि केवल तीस वर्ष उम्र के युवा भी हृदयरोग से पीड़ित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे मुख्य कारण बदलती जीवनशैली, अनुचित खान-पान, बढ़ता तनाव, शराब और तंबाकू उत्पादों का सेवन है। उन्होंने युवाओं को दिल की बीमारी से बचने के लिए इन चीजों से परहेज करने की भी सलाह दी है। किसी भी प्रकार की हार्ट-मॅजिक दवा का प्रयोग करने से पहले यह जांचना आवश्यक है कि क्या वास्तव में इसकी आवश्यकता है।
भारत में हृदयरोग की बढ़ती दर निश्चित रूप से एक चिंताजनक संकेत है। अगर उचित देखभाल की जाए तो हम निश्चित रूप से हृदयरोग से बच सकते हैं। लेकिन इसके लिए बचाव संबंधी नियमों का पालन करना जरूरी है। आइए हृदय रोग की व्यापकता और इसे रोकने के तरीके के बारे में जानने का प्रयास करें। भारत में हृदयरोग की दर पर नजर डालें तो हर 33 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत दिल का दौरा पड़ने से होती है। इसके अलावा भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या सबसे अधिक है और यह माना जाता है कि प्रत्येक मधुमेह रोगी को हृदयरोग है। कुल मिलाकर भारत में हृदयरोग के रोगियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है। दूसरी बात यह है कि भारतीयों को स्वाभाविक रूप से हृदयरोग होने का खतरा होता है; क्योंकि हमारी रक्तवाहिकाओं का आकार पश्चिमी लोगों की तुलना में छोटा है। इसके अलावा हृदय की एक से अधिक रक्तवाहिकाओं में ब्लॉकेज निर्माण होने की घटना भी अधिक है। दूसरा कारण बढ़ती जनसंख्या और उससे उत्पन्न प्रतिस्पर्धा, तनाव, बदलती जीवनशैली और प्रदूषण भी हृदयरोग में योगदान दे रहे हैं। दस साल पहले चालीस वर्ष उम्र के निचे एक या दो मरीज दिल का दौरा पड़ने के कारण अस्पताल में भर्ती हुआ करता था। हालाँकि, अब 100 में से 30 मरीज निश्चित रूप से 40 से कम उम्र के हैं।
जैसा कि आप देख सकते हैं, हमें हृदयरोग का खतरा अधिक है। इसलिए हमें हृदयरोग से बचाव का प्रयास जरूर करना चाहिए। लेकिन दो कारक हैं जो हृदयरोग को रोक नहीं सकते हैं, उम्र और आनुवंशिकी, इन दोनो जोखिमों से बचा नहीं जा सकता है। लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है या वह आनुवंशिक रूप से हृदयरोग के प्रति संवेदनशील होता है, रोकथाम योग्य कारकों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। टाले जाने योग्य कारकों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह, धूम्रपान और एक गतिहीन जीवन शैली, मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर शामिल हैं। उचित दिनचर्या और आहार से इन जोखिमों से निश्चित रूप से बचा जा सकता है। विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ, व्यक्ति को इन जोखिमों से बचने के लिए काम करना चाहिए।
हृदयरोग का पहला और सबसे बड़ा जोखिम कारक मधुमेह है। इसके साथ ही उच्च रक्तचाप, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता भी विकल्प के रूप में सामने आते हैं। साथ ही हाई ब्लडप्रेशर न केवल हृदय, बल्कि किडनी, मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है और पैरों में रक्तवाहिकाओं को बाधित करता है। ये सभी जीवनशैली से जुड़े विकार हैं, इन समस्याओं को आहार और व्यायाम ही रोक सकते हैं। जैसे-जैसे हम आर्थिक रूप से निवेश करते हैं, हमें कुछ वर्षों के बाद रिटर्न मिलता है। जैसे दैनिक व्यायाम में निवेश करने से जीवन में लाभ मिलेगा। लेकिन व्यायाम की कमी से हृदयरोग का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर आप हर दिन 15 मिनट भी व्यायाम करते हैं, तो हृदयरोग का खतरा 14 प्रतिशत कम हो जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि, बैठना धूम्रपान की नई पीढ़ी है। यदि हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो हमें धूम्रपान करनेवाले के समान ही हृदयरोग का खतरा होता है। आज लगातार बैठे रहना और काम करना हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन गया है। तो अब कुर्सियों पर ‘बैठना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ लिखना जरूरी हो गया है। व्यायाम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन्हें हर किसी को समझने की आवश्यकता है। हृदयरोग विशेषज्ञों से हमेशा यह सवाल पूछा जाता है कि कम से कम कितना व्यायाम करना चाहिए। सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट की मध्यम तीव्रता (मॉडरेट इंटेंसिटी) का व्यायाम अपेक्षित है। क्योंकि एक ऐसी एक्सरसाइज जिससे कोई अपने आसपास मौजूद व्यक्ति से बिना सांस रोके बात कर सके। इस प्रकार के व्यायाम में प्रतिदिन पैदल चलना या जॉगिंग करना शामिल है, या सप्ताह में तीन दिन 25 मिनट का मध्यम व्यायाम अपेक्षित है। इस एक्सरसाइज को करने से सांसें फूलती हैं और बगलवाले व्यक्ति से बात करना संभव नहीं हो पाता है। दौड़ना और तैरना इस प्रकार के व्यायाम के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा दो दिनों तक वजन उठाकर ‘वेट ट्रेनिंग’ नामक व्यायाम करना भी जरूरी है। लेकिन व्यायाम अत्यधिक नहीं होना चाहिए।
भोजन जीवन का अभिन्न अंग है और हृदयरोग में इसका महत्व अद्वितीय है। लेकिन अगर आप हृदयरोग से पीड़ित हैं या आप हृदयरोग से बचना चाहते हैं, तो भी आप अचानक अपना आहार नहीं बचा सकते। क्योंकि यह संस्कृति, पर्यावरण, पर्यावरण और लोगों पर निर्भर करता है। लेकिन अगर आप व्यायाम से संबंधित कुछ प्रतिबंधों या सामान्य नियमों का पालन करते हैं, तो भी आप आहार पर नियंत्रण कर सकते हैं। इनमें से पहला चीनी या चीनी उत्पादों की खपत को कम करना या ख़त्म करना है। हाल ही में दैनिक भोजन के बाद ‘डेजर्ट’ के रूप में मिठाई खाने का चलन बढ़ गया है। यह अस्वास्थ्यकर है और मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध, मधुमेह और बदले में हृदयरोग को आमंत्रित करता है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि चीनी नए ज़माने का तम्बाकू है। दूसरा संरक्षित या डिब्बाबंद कोई भी चीज दिल के लिए खतरनाक होती है। चूँकि वे वस्तुएँ डिब्बाबंद हैं तो वह बिल्कुल भी ताज़ा नहीं हैं। साथ ही संरक्षण के लिए रसायनों का भी उपयोग किया जाता है। ये रसायन हृदय के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अंत में आहार के मामले में एक और सूत्र याद रखने योग्य यह है कि जो आहार मेरी दादी को नहीं आता वह स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नहीं है। बेशक, विपणन के युग में दादी-नानी जिन खाद्य पदार्थों के बारे में जानती थीं, वे डिब्बाबंद रूप में बेचे जा रहे हैं। लेकिन यहां भी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में कई लोगों को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है और इसका असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। जब शरीर थका हुआ होता है तो शरीर को नींद की जरूरत होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक नींद की कमी से हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। नींद मानव स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। अच्छी नींद आपको हमेशा स्वस्थ रखती है। आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में कई लोगों को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है और इसका असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। जब शरीर थका हुआ होता है तो शरीर को नींद की जरूरत होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक नींद की कमी से हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। नींद की कमी से ऑक्सीडेटिव तनाव हो सकता है, जिससे रक्तवाहिकाओं के वॉल में एथेरोस्क्लेरोसिस दिखाई पडता है। इससे हृदय संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। ओएसए जैसे नींद संबंधी विकारों के कारण भी कईयो की निंद बराबर नही होती। इन बीमारियों में श्वासनलिका बार-बार एक-दूसरे से टकराते हैं, जिससे नींद में खलल पड़ता है।
आज की तेज़ रफ़्तार वाली दुनिया में जब हमें अपने कार्यस्थल, घर, स्कूल आदि में लगातार तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है, तब तनाव लगातार बना रहता है, जिससे “क्रोनिक स्ट्रेस डिसऑर्डर’ का विकास हो सकता है और “तनाव हृदयरोग का कारण बनता है!” हालाँकि हम यह वाक्यांश हर दिन डॉक्टरों, दोस्तों और परिवार से सुनते हैं। लेकिन यह जैविक और चिकित्सा अनुसंधान पर आधारित है। तनाव चिंता और भय के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया है। बाघ पिछे लगे जैसी स्थिति में जब हमें अपने सामने आनेवाली स्थिति से निपटना होता है तो हमारा शरीर तुरंत प्रतिक्रिया देता है। इसे ही हम अल्पकालिक तनाव कहते हैं।
भयावह स्थिति समाप्त होने के बाद शरीर स्वतः ही सामान्य स्थिति में आ जाता है। लेकिन क्या होगा यदि अल्पकालिक तनाव दूर न हो? तनावपूर्ण स्थितियों में हमारे शरीर में दो हार्मोन रिलीज़ होते हैं, कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन। कोर्टिसोल तनावपूर्ण स्थितियों में ऊर्जा स्रोत के रूप में शर्करा को मुक्त करने में मदद करता है, जबकि एड्रेनालाईन शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में रक्त के प्रवाह को प्राथमिकता देने में मदद करता है। पैरों की मांसपेशियों की तरह, अन्य रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और अतिरिक्त ऑक्सीजन युक्त रक्त का उत्पादन करने के लिए हृदय गति बढ़ जाती है जो मांसपेशियों तक पहुंच सकती है। उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने के कारण होता है।
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