बालाघाट | अंकित सरकार
बालाघाट जिले की राजनीती में जमीन से उठकर प्रदेश स्तर तक अपने विचारों पर कार्यो से अल्प समय में ही प्रसिद्धि प्राप्त कर लेने वाले बाबूजी का जीवन सदैव संघर्ष मय और कठिन परिश्रम का रहा। संघर्ष ही जीवन हैं, के आदर्श को ही उन्होंने अपना लिया था, उन्होंने जीवन पर्यन्त कर्तव्य की ही पूजा की, भावना के अनुरूप कार्य किया। अधिक उम्र मे भी उनकी सफलता युवाओं के लिए प्रेरणादायी बनी रही, उनकी कर्तव्य परायणता, व्यवहार कुशलता एवं परिश्रम करने की भावना कभी कम न हुई।
टेलर से सफल समाजसेवी बने बाबूजी
सोनझरा में श्री जानबाजी खोब्रागड़े के घर में जन्मे श्री बलिराम जी खोब्रागड़े जिन्हे सभी लोग टेलर “बाबूजी” के नाम से जानते थे, लेकिन उनकी अधिक लोकप्रियता खोब्रागड़े “बाबूजी” के नाम से थी। बाबूजी का जीवन ग्राम सोनझरा में ही एक टेलर के रूप शुरू हुआ था, और बीड़ी यूनियन के लीडर के तौर पर मजदूरों की सेवा के कार्य में पदार्पण हुआ।
आरपीआई से राजनीती में रखा कदम
वे अपने राजनीतिक जीवन में अपने नेतृत्व के प्रति निष्ठा,पार्टी के प्रति समर्पण की भावना, प्रत्येक दलिय सहयोगी के प्रति विश्वास की भावना से कार्य करते रहे। यही कारण था कि उनके राजनैतिक विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। बाबूजी क्षेत्र की शोषित – पीड़ित जनता के उत्थान के लिए कार्य करने की इच्छा रखते थे। और हमेशा जनता की मदद के लिए तत्पर रहते थे।
गरीबो के सुख दुःख में हमेशा रहे भागीदार…
वह क्षेत्र के हर वर्ग विशेषकर संसाधन विहीन गरीब वर्ग के सुख – दुःख में ऐसे भागीदार बनते थे, मानो वह हर परिवार के सदैव मुखिया हो और हो भी क्यों न क्षेत्र भी उन्हें पूरा स्नेह देता रहा। स्वच्छ शुभ पोषाक पहनकर मंच से खड़े होकर बोलते हुए उनकी मोहनी मूर्ति आज भी जनमानस के जीवन में है। “बाबूजी” के अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रणाम था की आम जनता उन्हें कितना प्यार और सम्मान दिया करती थी।
डोमनसिंह नगपुरे व सम्भलकर वकील के रहे करीबी….
जिले की राजनीति में पूर्व केबिनेट मंत्री श्री डोमनसिंह नगपुरे के अत्यंत करीबी माने जाने वाले “बाबूजी” को जिले की राजनीति के चाणक्य श्री जाने माने वकील सम्भलकर साहब आरपीआई का पूर्ण सहयोग प्राप्त था। “बाबूजी” ने संगठन की पूर्ण रूप से सेवा की,अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण समाज सुधार एवं जन सेवा के अनेकों कार्य किए। उनके पास आए जरूरतमंद हर व्यक्ति कि उन्होंने तन-मन-धन से सेवा की। बाबूजी अपनी विशिष्ठ शैली के कारण विवादस्पद प्रस्तावों का भी सरलता से हल निकाल देते थे।”बाबूजी” ने क्षेत्र में हमेशा बहुजन महापुरुषों के विचारों को आगे बढ़ानेका कार्य किया।
धार्मिक, सामाजिक व संस्कृतिक में थी रूचि
“बाबूजी” ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक सर्वाधिक महत्व सामाजिक उत्थान एवं ग्रामीण विकास को दिया। उदारता पूर्वक किए गए उनके कार्यों को आज भी क्षेत्र की जनता याद करती है। मुक्त हस्त से समय-समय पर दान देकर दानशीलता का परिचय दिया। वह अनेक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी रहे। उनके संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति उनके गुणों के कारण उनका प्रशंसक बन जाता था। वे समाज के अंतिम छोर तक खड़े रहने वाले व्यक्ति के लिए कार्य करने की भावना रखते थे।धार्मिक कार्यो के लिए हमेशा तैयार रहते थे,शराब मास मदिरा के सेवन से हमेशा दूर रहे और समाज को भी इन सब चीजों से दूर रहने कि शिक्षा देते थे। खुद ज्यादा पड़े लिखें नहीं लेकिन शिक्षा का महत्व समझते और समझाते थे।
4 अक्टूबर 21 को किया स्वर्ग गमन
उनके विरुद्ध राजनीतिक दुष्प्रचार भी जनता पर कोई प्रभाव ना जमा सका। वे जनमानस में जनप्रिय होते गए। यह अत्यंत खेदजनक रहा कि वे अपने विचारों एवं कार्यो को पूर्ण करते कि 4 अक्टूबर 2021 को पीड़ित एवं शोषित जनता के पक्षधर, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत,पूज्यनीय “बाबूजी” बुद्धवासी बलिराम जी खोब्रागड़े को काल क्वरूर चक्र ने हमेशा – हमेशा के लिए हमसे छीन लिया।