मूकनायक/ देश
राष्ट्रीय प्रभारी ओमप्रकाश वर्मा
लोगों ने मनगढन्त अर्थ निकाल लिया कि जब संगठित नहीं होंगे तो संघर्ष कैसे करेंगे ? शिक्षित होने का अर्थ लोगों ने BA, MA की डिग्री मान लिया और संघर्ष का अर्थ लेटर हेड पर ज्ञापन देना, सेवा में सविनय निवेदन के सम्बोधन का प्रार्थना पत्र देना, हड़ताल करना आदि गाँधीवादी बकवास को समझ लिया। समझना होगा कि संगठन संघर्ष का बाईप्रोडक्ट है।
डिग्री लेना अच्छा है परन्तु डिग्री को ही शिक्षित समय लेना पहले उपदेश “एजुकेट” की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करता। एकता अर्थात संगठन उपदेश देने से या संगठन बनाने से नहीं आती। एकता संकट काल से आती है: बाढ़ से घिरे पेड़ पर सांप मनुष्य व हिंसक जानवर सौहार्द से रहते देखे गये। एकता, गुलाम को एहसास करा दो कि वह गुलाम है- वह बगावत कर देगा, नामक बाबा साहेब के महासूत्र से आती है। बाबा साहेब को यह सूत्र बहुत प्यारा था प्रज्ञा के प्रकाश में जब उसे गुलामी का एहसास होगा तो वह गुलामी का कारण भी खोजेगा तथा गुलाम बनाने वाले व अपने शोषक का नाम भी ज्ञात करेगा। इससे उसके मस्तिष्क में क्रांति का सूत्रपात होगा। यदि किसी को गुलामी का अहसास न कराकर उसे संगठित होने की राय दी जाए तो उसी प्रकार की कार्यवाही होगी जैसे कुछ मनुष्यों को घेरकर एक मकान में बन्द कर दिया जाये।
भारत में जालिम को जुल्म ढाने की आदत पड़ चुकी है तथा मजलूमों को जुल्म व शोषण सहने की आदत पड़ चुकी है। इसे वे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल मानते हैं। एकता संकट काल से आती है और संकट काल गुलामी और मजलूमों पर ढाये गये जुल्मों-सितम का अहसास कराने में आता है।
जब अमेरिका के काले गुलामों की गुलामी की जंजीरें टूटीं तो वे दहाड़ मारकर रो रहे थे कि अब हमें स्वयं कमाकर खाना पड़ेगा। इसी प्रकार आज कुछ “हरिजन” चमचे कहते हैं कि कांशीराम जूठन छुड़वा देगा तो अपने हाथ से रोटी बनानी पड़ेगी।
अब्राहिम लिंकन ने गोरो से कहा था कि तुम बहुत से लोगों को कुछ समय के लिए मूर्ख बना सकते हो, तुम थोड़े लोगों को बहुत समय तक मूर्ख बना सकते हो परन्तु तुम बहुत से लोगों को बहुत समय तक मूर्ख नहीं बना सकते। अमेरिका में लिंकन की बात सही निकली। आज न्यूर्याक और वाशिंगठन में कालों की मर्जी के बगैर कोई निर्णय नहीं हो सकता है।
परन्तु भारत का 15 प्रतिशत मनुवादी वर्ग 85 प्रतिशत बहुजन समाज को दो हजार साल से मूर्ख व गुलाम बनाये हुए है। दुनिया में कहीं भी बहुसंख्यक समाज, अल्पसंख्यक समाज से भीख माँगता नहीं पाया जाता। यह स्थित देश के लिए घातक है।
संदर्भ पुस्तक:
बाबा साहब के तीन उपदेश और उनका सही क्रम
प्रो. डॉ रामनाथ (कानपुर)
🙏🙏🙏🅰️🅿️ निरिस्सरो
जय भीम जय भारत जय संविधान