Monday, December 23, 2024
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तमाशा तो सच का होता है झूठ की होती है तारीफ

मूकनायक
देश
राष्ट्रीय प्रभारी ओमप्रकाश वर्मा
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व्यर्थ का खर्चा ही जीवन की व्यवस्था को और व्यर्थ की चर्चा मन की अवस्था को प्रभावित करते हैं। इसलिए संघर्ष के अंधेरे से अपने हौसले कमजोर ना होने दें । समय का ग्रहण तो सूर्य और चंद्रमा भी झेलते हैं। हकीकत में तमाशा तो सच का होता है, झूठ की तो तारीफ होती है क्योंकि….
चुगली की धार इतनी तेज होती है, खून के रिश्तों को भी काट कर रख देती है। हमें अपनी गलतियों की सज़ा अभी भले न मिले, परंतु समय के साथ कभी ना कभी अवश्य मिलती है। हमारी जिंदगी में होने वाली हर चीज के जिम्मेदार हम ही होते हैं, इस बात को जितनी जल्दी मान लोगे, जिंदगी उतनी बेहतर होती जाएगी ।
लेखक
बिरदीचंद गोठवाल, नारनौल
प्रदेश प्रभारी मूकनायक, हरियाणा

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