मूकनायक राजस्थान अजमेर हेमन्त कुमार जाटवा
बाबा साहेब का जीवन संघर्ष, समर्पण और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। उन्होंने भारतीय समाज में समता, न्याय और लोकतांत्रिक अधिकारों की स्थापना के लिए अपना जीवन समर्पित किया। दिल्ली में उनसे जुड़े कई स्थल उनके योगदान और उनके विचारों की अनूठी विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
1. बंगला नंबर 22, पृथ्वीराज रोड (1942-1946)
इस बंगले में रहते हुए बाबासाहेब ने श्रम मंत्री के रूप में कई ऐतिहासिक सुधार किए:
भारत में पहली बार श्रमिकों के लिए काम के आठ घंटे सीमित किए।
यहीं पर बाबा साहेब ने मातृत्व अवकाश लाभ अधिनियम की रुप रेखा तैयार की, जिससे महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर सम्मान और सुरक्षा मिली।
सामाजिक सुरक्षा के तहत यहीं पर भविष्य निधि (EPF) और श्रमिक बीमा योजनाओं की नींव रखी।
कर्मचारी कल्याण के लिये श्रमिकों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए कानूनों का निर्माण किया।
यह स्थल सामाजिक सुरक्षा और श्रमिक अधिकारों की दिशा में बाबासाहेब के दूरदर्शी दृष्टिकोण का प्रतीक है।
2. बंगला नंबर 1, हार्डिंग्स एवेन्यू (तिलक मार्ग) (1947-1951)
यह बंगला उस समय डॉ. अंबेडकर का निवास था, जब वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। इसी बंगले में उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए हिंदू कोड बिल का मसौदा बनाया। इसी बंगले में बाबा साहेब ने भारतीय संविधान के माध्यम से भारत में लोकतांत्रिक समाज तथा राजनैतिक व्यवस्था की आधार शिला रखी।
बाबा साहेब ने हिंदू कोड बिल जो भारतीय महिलाओं के विवाह, संपत्ति और तलाक के अधिकारों के लिए क्रांतिकारी प्रयास था उसका मसौदा भी यहीं तैयार हुआ था। हालांकि, तत्कालीन सरकार ने इसे पारित नहीं किया, जिससे आहत होकर बाबासाहेब ने क़ानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और यह बंगला खाली कर दिया था। वर्तमान में यह बंगला पोलैंड के राजदूत का आवास है, जो बाबासाहेब की विरासत को सहेज कर रखे हुए हैं। इस बंगले को महिला मुक्ति स्थल के रूप में संचित किया जाना चाहिए।
3. अंबेडकर भवन, करोल बाग (14 अप्रैल 1951)
डॉ. अंबेडकर ने अपने संसाधनों से इस भवन की जमीन खरीदी थी और 14अप्रैल 1951 को इसका शिलान्यास किया था, जो भविष्य में बहुजन आंदोलन का मुख्यालय बनने के लिए संकल्पित था।
सामाजिक परिवर्तन के लिए यह भवन बाबासाहेब की प्रेरणा का प्रतीक था। अम्बेडकर भवन को बाबा साहेब ने सामाजिक जागरूकता और बहुजन उत्थान के लिए समर्पित किया।
हालांकि, राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों के कारण यह भवन अपनी पूरी क्षमता में विकसित नहीं हो सका।
4. 26 अलीपुर रोड (महापरिनिर्वाण भूमि 1951-56)
यह स्थान बाबासाहेब के जीवन के अंतिम वर्षों का साक्षी है। यहीं उन्होंने 6 दिसंबर 1956 को अपनी अंतिम सांस ली।
महापरिनिर्वाण दिवस: हर वर्ष लाखों अनुयायी यहां श्रद्धांजलि देने आते हैं। यह स्थल डॉ. अंबेडकर की जीवन यात्रा और उनके संघर्षों को याद दिलाता है।
5. संसद भवन, रायसीना हिल्स
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान को संसद भवन में प्रस्तुत किया। समता और न्याय का उद्घोष करते हुए उन्होंने संसद में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों को स्थापित किया।
साथ ही बाबा साहेब ने संसद भवन के प्रतीक के रूप में बहुजन समाज को राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्षरत रहने की प्रेरणा दी।
बाबा साहेब ने अपने जीवन में शिक्षा को समाज सुधार का मुख्य साधन माना। उन्होंने कहा, “शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।” उनकी इस सोच ने भारत में सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में नई ऊर्जा प्रदान की।
दिल्ली में बाबासाहेब से जुड़े ये सभी स्थल उनके सामाजिक परिवर्तन, समता, न्याय और लोकतंत्र के प्रति अटूट समर्पण के जीवंत प्रमाण हैं। इन स्थलों का संरक्षण और प्रचार आने वाली पीढ़ियों को उनके विचारों और योगदानों से प्रेरणा देता रहेगा।
डॉ . आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक 26 अलिपुर रोड़ दिल्ली छोड़कर बाकी सभी स्थल दुर्लक्षित है . बाकी तो छोड़िए बाबा साहेब का खरीदा आंबेडकर भवन भी पहले कांग्रेसी दलितजनों और अब आप पार्टी के दलितजनों के कब्जे में हैं। अब दिल्ली में आंबेडकरी आंदोलन मृतप्राय है।
जय भीम
शिवराज बैरवा डबरेला कोषाध्यक्ष अखिल भारतीय बैरवा महासभा जिला शाखा अजमेर केकड़ी ब्यावर राजस्थान
9950193490