Sunday, December 22, 2024
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बौद्धिक षड्यंत्र: रिवर्स साइकोलॉजी/ डार्क साइकोलॉजी

मूकनायक/ देश

राष्ट्रीय प्रभारी ओमप्रकाश वर्मा

रिवर्स साइकोलॉजी या डार्क साइकोलॉजी एक बहुत ही खतरनाक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है।
इस प्रक्रिया का प्रयोग बौद्धिक षड्यंत्र रचने वाले लोग करते हैं ।और लोगों को इसके द्वारा गुमराह किये रहते हैं।
इस प्रक्रिया का प्रयोग सदियों से शासक वर्ग और बुद्धिजीवी वर्ग लोगों को गुमराह करने के लिए, गुलाम बनाए रखने के लिए और भटकाए रखने के लिए करता आ रहा है।
इसे हम दिमागी साजिश भी कह सकते हैं।
इस प्रक्रिया में कम बुद्धि के लोग, गुलाम मानसिकता के लोग आसानी से फंस जाते हैं।
आइए इसे हम कुछ उदाहरणों के द्वारा समझते हैं।
जैसे ~ ब्राह्मण मंदिर बनवाता है ताकि मूर्ति के सहारे चढ़ावा प्राप्त कर अपनी रोजी रोटी चला सके यदि ब्राह्मण सबको ये बोले सभी लोग हमारे मंदिर में आओ पूजा करो चढ़ावा चढ़ाओ तो लोग ब्राह्मण के विरोध में खड़े हो जाएंगे और यह कहकर विरोध करेंगे कि हम मंदिर में नहीं जायेंगे इससे तो ब्राह्मण का धंधा चलता है।
तो इसके लिए ब्राह्मण प्रचार प्रसार करता है कि मंदिर में शूद्रों को नहीं घुसने देंगे, इसके लिए ब्राह्मण बाकायदा लोगों को मंदिर से बाहर निकालता है, पिटाई भी करवाता है। और मंदिर के बाहर तख्ती भी लगा देता है जिस पर लिखा होता है शूद्रों का प्रवेश वर्जित!
फिर क्या लोग ब्राह्मण की रिवर्स साइकोलॉजी या डार्क साइकोलॉजी में फंस जाते हैं और फिर वे मंदिर में घुसने की जिद करते हैं जैसे ही यह मंदिर में घुसने की जिद करते हैं, मंदिर में घुसते हैं ब्राह्मण का एजेंडा पूरा हो जाता है
क्योंकि ब्राह्मण यही तो चाहता था कि यह लोग मंदिर में आएं ,पूजा करें, चढ़ावा चढ़ाएं जिससे उसका धंधा चले।
एक उदाहरण और देता हूं मुझे पूरी तरह से याद तो नहीं है किसी ब्राह्मण ने हरियाणा के जाटों को चलेंज किया कि हरियाणा के जाट काशी विश्वनाथ के मंदिर में बैठकर हुक्का नहीं पी सकते और यदि वे ऐसा करेंगे तो हम उनको हुक्का नहीं पीने देंगे।
फिर क्या ???
हरियाणा के जाट भाइयों ने चलेंज एक्सेप्ट कर लिया हजारों की संख्या में जाट भाइयों ने काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर कूंच कर दिया!
वहां जाकर उन्होंने बड़ी शान से हुक्का पिया और मंदिर में पूजा करी, चढ़ावा चढ़ाया और बदले में ब्राह्मण की गुलामी मिली।
अगर ब्राह्मण हरियाणा की जाट भाइयों को यह कहकर बुलाता कि हे हरियाणा के जाट भाइयों आप आओ काशी विश्वनाथ के मंदिर में पूजा करो और यहां आकर हुक्का पियो तो ये ब्राह्मण का कहना हरगिज नहीं मानते!
लेकिन ब्राह्मण ने इन पर डार्क साइकोलॉजी या रिवर्स साइकोलॉजी का प्रयोग किया तो यह लोग ब्राह्मण की बौद्धिक चाल में संयंत्र में आसानी से फंस गए।
इनकी दिशा ब्राह्मण की गुलामी की ओर मुड़ गई।
अगर यह लोग ब्राह्मण की डार्क साइकोलॉजी या रिवर्सल साइकोलॉजी को समझते तो कहते कि ब्राह्मण हम जानते हैं तो षड्यंत्रकारी है इसलिए हम काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर हुक्का नहीं पियेंगे बल्कि हुक्का को छोड़कर हम श्री दरबार साहिब में जाकर के मत्था टेकेंगे।
तो हरियाणा के जाट भाई ब्राह्मण की चाल में नहीं फंसते और आज स्थिति कुछ और होती।
अब
डार्क साइकोलॉजी या रिवर्स साइकोलॉजी को समझने के लिए मैं दूसरा उदाहरण देता हूं…
जब से देश आजाद हुआ है जब से इस देश में संविधान लागू हुआ है तब से लेकर अब तक इस संविधान के द्वारा ब्राह्मण बनिए राज कर रहे हैं, सरकार chaka रहे हैं,ब्राह्मण बनियों ने देश की न्यायपालिका पर, मीडिया पर, उद्योग कारखानों और फैक्ट्रियों पर, पूरे मार्केट पर कब्जा जमा रखा है,
धर्म पर इनका कब्जा है।कहना चाहिए देश इनकी ही हुकूमत चल रही है।
अब बताओ जिस संविधान से जो लोग देश पर राज कर रहे हैं वे इस संविधान की रक्षा करना चाहेंगे और चाहेंगे कि यह संविधान इसी प्रकार से सुरक्षित रहे ताकि वे इसी प्रकार से राज करते रहें।
सोचो
अगर ब्राह्मण बनिए देश में यह बात शुरू कर दें कि इस संविधान के द्वारा हमारा राज चल रहा है इस संविधान से हम देश के लोगों पर हुकूमत कर रहे हैं तो ब्राह्मण बनियों का विरोधी पक्ष संविधान के विरोध में खड़ा हो जाएगा और संवैधानिक षड्यंत्र को समझने का प्रयास करेगा।
इस षड्यंत्र से भी लोग जिन पर ब्राह्मण बनी राज कर रहे हैं वाकिफ न हो जाए तो उसके लिए ब्राह्मण बनिए डार्क साइकोलॉजी या रिवर्स साइकोलॉजी का प्रयोग करते हैं तब वह कहते हैं हमें संविधान को बदलने आए हैं हम इस संविधान को खत्म कर देंगे और इसके लिए इनके कभी मंत्री, कभी सांसद, कभी आरएसएस के लोग बयान भी देते हैं।
और लोगों को भयभीत करने के लिए संविधान का ड्राफ्ट बनाकर के सर्कुलेट कर देते हैं और प्रचार करते हैं कि हमने अपना संविधान बना लिया है हम संविधान खत्म कर देंगे जिससे वे लोग जिन पर ब्राह्मण बनिए हुकूमत कर रहे हैं ना चाहते हुए भी ब्राह्मण बनियों के इस बनावटी विरोध में फंस जाते हैं और दूसरे विपक्ष में खड़े होकर संविधान बचाने की बात करते हैं।
पूरे देश में संविधान बचाओ अभियान चलाते हैं।
और पूरा देश इसी में लग जाता है संविधान बचाओ!
सोचो!
अगर ब्राह्मण बनिए इस संविधान को बदलना चाहते तो मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में, दूसरे कार्यकाल में इस संविधान को बदल देती।
ब्राह्मण बनियों की इस डार्क साइकोलॉजी में पढ़े-लिखे लोग भी फंस जाते हैं वह कभी विचार ही नहीं करते की जो लोग इस संविधान से राज कर रहे हैं इस संविधान के द्वारा देश के हर सिस्टम पर ब्राह्मण बनियों का कब्जा है इस संविधान की बदौलत ही ब्राह्मण बनियों का स्वर्णिम दौर चल रहा है भला वे संविधान को क्यों बदलेंगे ???
दूसरा वर्ग जो संविधान को बचाने में लगा हुआ है खास तौर पर वंचित वर्ग ब्राह्मण बनियों के इस डार्क साइकोलॉजी या रिवर्स साइकोलॉजी में फंस चुका है,जो संविधान को समझना ही नहीं चाहता है बस बिना समझे बचाने में लगा हुआ है।
वंचित वर्ग संविधान को समझना ही नहीं चाहता है।
और न ही विचार करता है
कि
इस संविधान के होते हुए 76 सालों के बाद भी देश में
सामाजिक और आर्थिक गुलामी है।
भयंकर जातिवाद है,
भयंकर गरीबी है,
भयंकर शैक्षणिक विषमता है,
लोगों को पढ़ने से रोका जा रहा है,
चारों और विषमता पसरी है,
लोग जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
वर्तमान में जाति और गरीबी के आधार पर लोगों के साथ अन्याय, अत्याचार,शोषण,उत्पीड़न,भयंकर तौर पर चल रहा है।
बेरोजगारी भयंकर है,
लोग भूखे मरने के कगार पर हैं,
भुखमरी फैली हुई है,
गरीबी के चलते जिस्मफरोशी जोरों पर है।
लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं,
लोगों के पास तन ढकने को कपड़े नहीं हैं,
रहने को मकान नहीं है,
थाली में भोजन नहीं है,
दूसरी ओर अथाह संपत्ति है,
चंद लोगों ने अकूत संपत्ति जमा कर ली है।
देश की एक तिहाई पर संपत्ति पर चंद लोगों का कब्जा है,
उद्योग,कारखाने, भूमि, बाजार सब उनके कब्जे में है,
देश की 90 फ़ीसदी आबादी देश की अर्थव्यवस्था से पूरी तरह से बाहर है।
आखिर हमें इस आजादी से क्या मिला ???
आखिर लोकतंत्र से हमें क्या मिला ???
यह आजादी किसकी है ???
यह व्यवस्था किसकी है???
इस व्यवस्था का मालिक कौन है ???
इस व्यवस्था को कौन चला रहा है ???
जो लोग हम पर मनुस्मृति से शासन कर रहे थे,
वही आज हम पर संविधान से शासन कर रहे हैं,
वही इस व्यवस्था के मालिक हैं ।
और
वे ही इस व्यवस्था को चला रहे हैं,
और वंचित वर्ग गुलामी कर रहा है।
गुलाम बना हुआ है।
इतना सब कुछ होने के बाबजूद भी
संविधान बचाने में लगा हुआ है????
संविधान को समझना नहीं चाहता है।
दिन रात झूठा प्रचार करने में लगा हुआ कि भारत का संविधान बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने बनाया है।
जबकि डॉ अंबेडकर ने चार बार कहा है कि ये संविधान मैंने नहीं बनाया है इस संविधान को मैं जलाना चाहता हूं, खत्म करना चाहता हूं।

डॉक्टर अंबेडकर ने 18 मार्च 1956 को आगरा के ऐतिहासिक भाषण में जन समूह को संबोधित करते हुए कहा था कि तुम्हें एकजुट होकर निरंतर संघर्ष करना है और तुम्हें सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक गैर बराबरी को मिटाने के लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने के लिए यहां तक कि अपना खून बहाने के लिए भी तैयार रहना है।
इसका मतलब है कि संविधान के द्वारा हमें समानता नहीं दी गई है,
हम सामाजिक रूप से आज भी समान नहीं है।
पूरे देश में ऊंच-नीच जातिवाद छुआछूत चरम पर है।
आर्थिक तौर पर आज भी समान नहीं है, एक और घनघोर गरीबी है तो दूसरी ओर अथाह अमीरी है।
शैक्षणिक तौर पर भी हम आज सामान नहीं है।
विडंबना यह है कि कांग्रेस, भाजपा और ब्राह्मणवादी ताकतों ने बाबा साहब डॉ अंबेडकर को फर्जी तौर पर संविधान निर्माता घोषित किया हुआ है।
जबकि
डॉ भीमराव अंबेडकर ने 22 दिसंबर 1952 को
पुणे जिला न्यायालय की लाइब्रेरी का उद्घाटन करते समय लोकतंत्र की शर्तें बताई थी चौथी शर्त में डॉक्टर अंबेडकर कहते हैं ~
“वर्तमान संविधान को लेकर लोग काफी जोशपूर्ण हैं लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं मैं उन लोगों में शामिल होने के लिए तैयार हूं जो वर्तमान संविधान को खत्म करके उसकी जगह नया संविधान लिखना चाहते हैं।
क्योंकि यह संविधान ऐसी हड्डियों का ढांचा है जिसमें मांस वहां पाया जाता है जिसे हम संवैधानिक नैतिकता का नाम देते हैं।”
डॉ भीमराव अंबेडकर ने 2 सितंबर 1953 को राज्य सभा में कहा था ~
“2 सितम्बर 1953 को आंध्र विधेयक पर बहस के दौरान राज्यसभा में डा. आंबेडकर ने कहा था कि यह संविधान मैंने नहीं, संविधान सभा के सदस्यों ने बनाया है. मैंने इसे अपनी इच्छा के विरुद्ध लिखा है. मैं तो भाड़े का टट्टू था. अगर अवसर मिले, तो मैं पहला व्यक्ति होऊंगा, जो इसे जलाऊंगा, इसमें कुछ भी नहीं है।”

19 मार्च 1954, संविधान (चौथा संशोधन) विधेयक पर तीखी बहस चल रही थी। उन्होंने कहा था कि वे संविधान को जला देंगे वे उस दिन जल्दबाजी में थे इसलिए मैंने कारण नहीं बताया था,
अब मैं कारण बताता हूं कि मैंने 2 सितंबर 1953 को संविधान जलाने की बात क्यों कही थी
“संविधान रूपी मंदिर को भगवान स्थापित करने के लिए बनाया गया था लेकिन अब इस पर शैतान ने कब्जा कर लिया है। इसलिए अब इस मन्दिर को ध्वस्त करना होगा।
ये संविधान डॉ भीमराव अंबेडकर ने नहीं बनाया है।
बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर को कांग्रेस बीजेपी आरएसएस ने षडयंत्र करके झूठ तौर पर संविधान निर्माता घोषित किया हुआ है
और
इस षड्यंत्र में दलित नेता भी शामिल हैं।
भारत की हर समस्या की जड़ें भारत के संविधान में छुपी हुई हैं जब तक हम भारत के संविधान को ढंग से नहीं समझेंगे, तब तक देश की सभी समस्याओं को हम समाधान नहीं कर सकेंगे।
इसलिए हे मेरे भोले भाले भाइयों आप शासक वर्ग की डार्क साइकोलॉजी या रिवर्स साइकोलॉजी को समझो…

लेखक:

कालू राम बैरवा जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय बैरवा महासभा जिला शाखा अजमेर केकड़ी ब्यावर राजस्थान 9784650393

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