मूकनायक/राजस्थान/जिला ब्यूरो चीफ सांचौर/रिडमल राम परमार
रानीवाड़ा – दांतवाड़ा निवासी मथुराराम ने अपने संघर्ष और मेहनत से सफलता की मिसाल कायम की है। आरपीएससी द्वारा आयोजित सहायक आचार्य (हिंदी) परीक्षा में 150वीं रैंक के साथ चयनित होकर उन्होंने अपने गांव का पहला असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का गौरव प्राप्त किया है।
संघर्षों से भरा जीवन
मथुराराम का बचपन मुश्किलों से भरा रहा। तीसरी कक्षा में उनकी मां का देहांत हो गया। इसके बाद उनके पिता ने मजदूरी करते हुए उन्हें पढ़ाया। मुख्य परीक्षा के बाद और साक्षात्कार से पहले उनकी बहन का कैंसर से निधन हो गया। इस कठिन समय में उनकी बहन की जिजीविषा और आशीर्वाद ने उन्हें प्रेरणा दी।
शिक्षा और तैयारी का सफर
मथुराराम की पूरी शिक्षा सरकारी संस्थानों में हुई। उन्होंने बिना किसी कोचिंग के केवल सेल्फ स्टडी के माध्यम से यह सफलता हासिल की। उनका मानना है कि दृढ़ संकल्प, स्मार्ट अध्ययन और सकारात्मक सोच के साथ किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है।
सफलता के पीछे सहयोग
मथुराराम ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, गुरुजनों और दोस्तों को दिया। उन्होंने विशेष रूप से बलवंत राठौड़, गोपाल मकवाना और प्रवीण मकवाना के साथ ग्रुप डिस्कशन का योगदान बताया। अर्जुन देवासी का प्रोत्साहन और ललित डांगी, विक्रम राठौड़ व ममेरे भाई ओम राठौड़ का भावनात्मक सहयोग भी उनके लिए सहायक रहा।
वर्तमान और संदेश
मथुराराम वर्तमान में तृतीय श्रेणी अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि अच्छे और सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ संगति रखना और अपनी मेहनत पर भरोसा करना ही सफलता का मूलमंत्र है।
उनकी इस सफलता ने दांतवाड़ा ही नहीं, पूरे क्षेत्र के युवाओं को प्रेरणा दी है। मथुराराम आज सभी के लिए एक मिसाल बन गए हैं।