मूकनायक राजस्थान अजमेर तहसील टांटोटी नारायण लाल गोठवाल शोकली
कुदरत ने सभी प्राणियों में सर्व श्रेष्ठ प्राणी यदि किसी को बनाया है तो आदमी को बनाया है तथा आदमी को कुदरत ने सबसे ज्यादा दिमाग दिया है तभी तो आदमी को (MINDED ANIMAL OF NATURE) MAN कहा जाता है।
जो आदमी कुदरत के दिए गए दिमाग का जितना अधिक सही दिशा में उपयोग करेगा वह जीवन में विकास करेगा और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता जाएगा, सदैव आबाद रहेगा लेकिन यदि कोई आदमी कुदरत के दिए गए दिमाग का या तो उपयोग ही नहीं करेगा या फिर गलत दिशा में उपयोग करेगा तो ऐसे आदमी का विकास नहीं बल्कि विनाश होगा, प्रगति नहीं बल्कि दुर्गति होगी और वह आबाद नहीं बर्बाद ही होगा उसे कोई रोक नहीं सकता।
अब ये प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपने दिमाग को कितना काम में लेता है और यदि दिमाग को काम में लेता भी है तो सही दिशा में कितना काम में लेता है इसी पर विकास और विनाश, प्रगति और दुर्गति एवं आबाद और बर्बाद का चक्र चलता रहता है।
दिमाग को सही दिशा में लगाने से स्वस्थ विचार पैदा होते हैं और स्वस्थ विचारों से ही व्यक्ति विद्वान और महान बनता है।
यदि कोई भी व्यक्ति अपने दिमाग से बाबा साहेब डॉ अंबेडकर द्वारा लिखित साहित्य को पढ़ेगा तो अंधविश्वास को छोड़कर विज्ञान रूपी ज्ञान की ओर बढ़ेगा एवं बाबा साहेब के विचारों को समझेगा।
जिस किसी ने भी बाबा साहेब डॉ अंबेडकर के विचारों को समझ लिया जान लिया और मान लिया तो यकीनन वह व्यक्ति अन्धविश्वास से बाहर आएगा और जिस दिन वह अंधविश्वास से बाहर निकलेगा तो उसमें बहुत सारे बदलाव देखने को मिलेंगे फिर वह इस बात को नहीं मानेगा कि किसी बंदर रूपी व्यक्ति ने सूर्य को अपने गाल में दबा लिया था वह ये भी नहीं मानेगा कि आदमी की गर्दन कटने पर उसकी जगह हाथी की गर्दन लगा दी गई थी।
वह व्यक्ति इस बात को भी नहीं मानेगा कि किसी एक विशेष जाति में पैदा हुए व्यक्ति को भोजन खिलाने से उसको दान दक्षिणा देने से कोई धर्म होता है और उससे पूजा पाठ करवाने से मृत परिवारजनों को स्वर्ग अथवा मोक्ष मिलता है अर्थात उसकी मुक्ति होती है वह इस बात पर भी विश्वाश नहीं करेगा कि किसी विशेष नदी में अस्थि विसर्जन करने से या उसमें स्नान करने से पाप धुलते हैं।
यहां ये सब लिखने का तात्पर्य यह है कि बाबा साहेब डॉ अंबेडकर से ज्यादा हितैषी और कल्याणकारी अन्य हमारे लिए कोई भी नहीं हुआ है बाबा साहेब डॉ अंबेडकर ने रात में नींद को व दिन में आराम को हराम करके बहुत सा साहित्य लिखकर गए थे कि मैं तो सदेव नहीं रहूंगा लेकिन मेरा लिखा हुआ साहित्य उपलब्ध रहेगा इसे पढ़कर मेरा समाज अंधविश्वास से बाहर निकलेगा लेकिन बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है कि बाबा साहेब के लिखे हुए साहित्य पर धूल और गर्दा चढ़ा हुआ है कोई पढ़ने को तैयार नहीं है।
आज समय की मांग है कि बाबा साहेब डॉ अंबेडकर को पढ़ो और अंधविश्वास छोड़ विज्ञान की ओर बढ़ो।
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रंग लाल बैरवा कानपुरा
अध्यापक व सह मन्त्री अखिल भारतीय बैरवा महासभा जिला शाखा अजमेर केकड़ी ब्यावर राजस्थान 7726856299