मूकनायक/देश
राष्ट्रीय प्रभारी ओमप्रकाश वर्मा
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मधुर रिश्ते और पारिवारिक स्नेह जीवन की अनमोल पूंजी है। धन की तुलना में रिश्तों को ज्यादा महत्व दीजिए। रिश्ता वह नहीं जो दिखाया जाता है बल्कि रिश्ता वह है जो निभाया जाता है। कहते हैं कि पुत्र की परख विवाह के बाद, पुत्री की जवानी में, पति की बीमारी में, पत्नी की गरीबी में, भाई की मुसीबत में, संतान की बुढ़ापे में और सास की बहू आने के बाद परख होती है। परिवार में इसलिए विघटन हो जाता है क्योंकि लोग टूटना पसंद करते हैं, झुकना नहीं।
वहीं घर की छोटी-छोटी बातों पर पारिवारिक संबंधों को समाप्त करने की बजाय प्रेम से ही वार्तालाप कर समाधान करना समझदारी है क्योंकि दुनिया में सबसे बड़ी ताकत प्रेम की है। झाड़ू के तिनके अगर प्रेम से एक साथ रहते हैं, तो कचरा साफ करते हैं, और वही तिनके बिखर जाएँ तो खुद कचरा बन जाते हैं…
लेखक
बिरदी चंद गोठवाल, नारनौल
प्रदेश प्रभारी मूकनायक, हरियाणा