Sunday, January 5, 2025
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बाबा साहब को ही संविधान निर्माता क्यों कहा जाता है ?

सेहत खराब लेकिन संविधान निर्माण में रात-दिन एक कर दिये


  वैसे तो संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी में सात सदस्य थे और पूरी संसद में 389 व संविधान सभा में 279 सदस्य थे | लेकिन वास्तविकता यह थी कि भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने और लेखन का महत्व पूर्ण और देशभक्ति का यह महान कार्य बाबा साहब द्वारा अकेले ही किया गया। अपने निरन्तर गिरते स्वास्थ्य की चिंता नहीं करते हुए दिन-रात संविधान लिखने के काम में जुटे रहे। आखिर उन्हें संविधान निर्माता क्यों कहा जाता है ? 
 अंग्रेजों ने तो भारतीयों के मनमाने व्यवहार और असहयोग आन्दोलनों के कारण 1942 में ही भारत छोड़ने का पूरा मन बना लिया था |
  1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के चलते वह भारत के लिये पूरा समय न दे पाने के कारण,  भारत को भली भाँति सँभाल नहीं पा रहे थे | इसलिये उन्होंने भारत को आजाद करने की घोषणा कर दी थी |
 अब उनके लिए प्रश्न यह आ रहा था कि जिस देश पर अंग्रेजों ने  200 वर्षों तक हुकूमत की हो उसे आग में झुलसता हुआ तो नहीं छोड़ सकते थे |

अंग्रेजों ने भारतीयों से सलाह मशविरे किये, कि आप लोग कैसा शासन चाहते हैं | राज तांत्रिक (तानाशाही) या लोक तांत्रिक ?
जैसा शासन आप लोग चलाना चाहेंगे उसी प्रकार के शासन के अनुकूल संविधान बनाकर तैयार करो | फिर विचार किया जायेगा कि संविधान शासन चलाने के अनुकूल है |
फिर दोनों तंत्रो पर गहन चर्चायें हुई | हानि लाभ गिनाये गये | उस समय भारत में 563 रियासतें थीं | जिनको अंग्रेज संभालते थे | कहीं अंग्रेजों के जाने के बाद यहाँ की रियासतें अपनी अपनी सीमा विवाद सम्बन्धी समस्याओं के चलते आपस में ही सीमाओं की लड़ाई में जूझ न जायें ?
तब प्रजातंत्रात्मक लोकतंत्र की चर्चा हुई उसके लाभ गिनाये गये | सबकी समझ में आ गये | तत्कालीन काँग्रेस के प्रभावशाली नेताओं ने देश की सभी रियासतों को मिलाकर एक सम्प्रभुत्व संपन्न भारत बनाने का संकल्प लिया |
अब सबसे बड़ा सवाल उभर कर आया कि इतने बड़े लोकतंत्र के लिये ऐसे संविधान का होना निहायत ही जरूरी है जो पूरे भारत को कंट्रोल कर सके |
फिर दूसरा प्रश्न सामने उभर कर आया | इतने बड़े देश का लोकतांत्रिक संविधान लिखेगा कौन ?
इस एक प्रश्न को लेकर भारत के बड़े बड़े नेताओं में खलबली मची हुई थी | शिक्षित लोगों वकीलों आदि की राय ली गयी | लेकिन विविधताओं से भरे भारत देश के लिये ऐसा कोई विद्वान नहीं मिल सका जो संविधान के लिये रूपरेखा (मसौदा) भी तैयार कर सके |
तब कुछ नेता लोग हमारे देश का संविधान लिखवाने के लिये विदेशी संविधान विशेषज्ञों के पास गये |
अन्त में एक ब्रिटिश संविधान विशेषज्ञ के पास पहुँचे | उस ब्रिटिश संविधान विशेषज्ञ ने बताया कि आपका देश विविधताओं और विषमता से भरा हुआ है | दूसरे यह कि आपका देश सदियों तक गुलाम रहा है | दूसरे देशों की अपेक्षा आपके देश में धार्मिक जातीय समस्याओं की भरमार है |
इसलिए आपके देश का संविधान बनाने के लिये ऐसे विद्वान की जरूरत है जो आपके देश की समस्याओं से वाकिफ हो |
फिर उस विशेषज्ञ ने बताया कि आपके ही देश में डा.भीम राव अंबेडकर जैसा सबसे बड़ा शिक्षित व संविधान विशेषज्ञ मौजूद है तो इधर उधर की सलाह लेने की क्या जरूरत है ?
तात्कालिक काँग्रेस के अधिकांश सदस्य नहीं चाहते थे कि हमारे देश का संविधान एक अछूत के द्वारा लिखा जाये | लेकिन दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं था |
इधर अंग्रेजी शासन ने भी कह रखा था कि जब तक आप संविधान की रूपरेखा हमारे पास नहीं भेजेंगे तब तक आप स्वतंत्र नहीं हो सकेंगे |
अब हमारे देश के नेताओं ने संविधान लेखन के लिये गम्भीरता से विचार करना शुरू किया |
बहुत से उदारवादी नेता संविधान लेखन के लिये अंबेडकर जी के पक्ष में थे | लेकिन अंबेडकर विरोधी खेमा इस बात पर अड़ा हुआ था कि अंबेडकर जी संविधान तभी लिख पायेंगे जब वे संविधान सभा के सदस्य के रूप में चुनकर आयेंगे |
पहले प्रयास में ही उन्हें हरा दिया गया | तब बंगाल के जोगेन्दर नाथ मंडल ने बंगाल की जैसुर खुलना सीट से चुनाव लड़वाकर एवं जिताकर बाबा साहब को संविधान सभा मेम्बर के लिए भारी मतों से जितवाया | तब जैसे तैसे अंबेडकर जी को संविधान सभा का सदस्य बनाया गया |
संविधान बनाने के लिये संविधान सभा का गठन किया गया | उस समय संसद में 389 सदस्य थे | संविधान सभा के लिये 284 सदस्य चुने गये , जो बाद में घटकर 279 रह गए | इन सभी सदस्यों का काम देश की समस्याओं को सदन में रखना और निराकरण के लिये बहस कराना होता था |
बहस से जो निष्कर्ष (निराकरण) निकल कर सामने आता उसकी संतुलित शब्दों में ड्राफ्टिंग लेखन कार्य करना होता था | इसके लिये मसौदा समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) का गठन किया गया | बाबा साहब डा. भीम राव अंबेडकर जी को संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन (अध्यक्ष) चुना गया | यहाँ यह कहना उचित ही लगता है कि बाबा साहब को ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन बनाना देश की जरूरत ही नहीं वल्कि मजबूरी थी | क्योंकि संविधान लेखन कार्य के लिये बाबा साहब की विद्वता के सामने देश के कई सैकड़ा शिक्षित ग्रेजुएटस् मिलकर भी उनकी बराबरी नहीं कर सकते थे |
इस ड्राफ्टिंग कमेटी में सात सदस्य थे जो पूरे देश की प्रत्येक समस्या का समाधान निकाल कर कमेटी के सामने प्रस्तुत करते थे | लगभग प्रत्येक बड़ी समस्या का समाधान डा. भीम राव अंबेडकर जी को ही निकालना पड़ता था और स्वयं ही ड्राफ्टिंग भी करनी पड़ती थी |
इस कमेटी में मनोनीत सात सदस्यों में से एक का निधन हो गया,एक ने इस्तीफा दे दिया,एक सदस्य अमेरिका चले गए,एक सदस्य अपने रियासतदारों सम्बंधी कामकाजों में ही व्यस्त रहते थे अन्य दो सदस्य दिल्ली से बाहर के थे तथा खराब स्वास्थ्य के चलते संविधान सभा के लिए उनका योगदान नगण्य ही रहा | वे दोनों संविधान के इस काम के लिये समय ही नहीं दे पाये |
आखिर में सिर्फ बाबा साहब ही बचे | इसलिये संविधान बनाने की सारी जिम्मेदारी बाबा साहब को ही निभानी पडी |
केवल एक सदस्य डा. बी एन राव जो मसौदा समिति के सलाह कार थे और उन्हें मसौदा समिति की जरूरतों की कुछ ठीक ठाक जानकारी थी | वे संविधान के लिए बहुत से देशों से या देश की समस्याओं का कच्चा मसौदा तैयार करके लाते थे | उस मसौदा पर बहस होती थी |
बहस में मतभेद होना भी स्वाभाविक होता है | सर्वमान्य हल निकालने के लिए बाबा साहब को संविधान सभा में एक एक दिन में कम से कम 15 से 20 बार खड़ा होना पड़ता था | बहस तब तक होती थी जब तक संविधान सभा में सर्व सम्मति नहीं बन जाती थी | इसीलिये कहा गया है कि संविधान किसी एकमत अथवा बहुमत से नहीं बना है | हमारा संविधान सर्व सम्मति से बना है |
संविधान सभा में जो निष्कर्ष निकलता उसे बाबा साहब नोट करते थे फिर उचित शब्द देकर ड्राफ्टिंग यानी लेखन कार्य करते थे | चूँकि संविधान सभा में तो पूरा समय समस्याओं के समाधान हेतु बहस में ही चला जाता था, इसलिये ड्राफ्टिंग का कार्य बाबा साहब को अपने घर पर ही करना पड़ता था |
केवल डा. बी एन राव ने ही अपनी पूरी जिम्मेदारी संविधान कम्प्लीट होने तक निभाई थी |
संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष टी टी कृष्णामाचारी ने अपने भाषण में डा अम्बेडकर की प्रशंसा में कहा था कि “आखिर संविधान का प्रारूप बनाने का भार डा०बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर पर अकेले ही आ पड़ा और हमें उनका आभारी होना चाहिए कि उन्होंने इस कार्य को जिस निष्ठा और लगन से किया वह निश्चित ही प्रशंसनीय है |
संविधान सभा की पहली बैठक. 9 दिसम्बर 1946 को हुई थी | इसी तारीख को संविधान निर्माण की शुरुआत के रूप में समझा जाता है |
इधर मई जून में भारत पाकिस्तान का बँटवारा हो गया | बाबा साहब जिस सीट से चुनकर संविधान सभा में आये थे | वह सीट उस क्षेत्र के साथ बँटवारे में पाकिस्तान में चली गयी | हालाँकि यह समझा जा सकता है कि अंबेडकर विरोधी खेमा ने ही ऐसे बँटवारे की पैरवी की थी | जिससे कुछ अंबेडकर जी के विरोधी खुश जरूर हुये होंगे | हालाँकि कुछ दिनों के लिये संविधान लेखन का कार्य रुक गया |
फिर तो अंग्रेजी शासन ने भी हिदायत दे दी कि यदि बाबा साहब डा. बी आर अंबेडकर संविधान निर्माण में भाग नहीं ले पाते हैं तो उनके बिना आपका अच्छा संविधान बन पाना असंभव है | यदि सही संविधान नहीं बन सका तो आपको आजादी मिल पाना भी असंभव ही है |
अब एक बार फिर भारतीय काँग्रेस में खलबली मच गयी | आनन फानन में बाबा साहब के लिये महाराष्ट्र की एक दूसरी सीट खाली करवा कर वहाँ से बाबा साहब को फिर से संविधान सभा के लिये चुना गया | तब फिर से संविधान लेखन का कार्य शुरू हुआ |
संविधान लेखन से संतुष्ट होकर अंग्रेजी शासन ने 15 अगस्त 1947 को भारत को शासन चलाने की आजादी देकर भारतीय झंडा लगाने की इजाजत दे दी |
हालाँकि अभी तक हमारे देश के गवर्नर कानूनी शासक अंग्रेज ही थे | उन्हीं के बनाये कानून लागू रहे | 24 मार्च 1948 में लार्ड माउन्टबेटन भारत के नये गवर्नर जनरल बनकर आये जो 26 जनवरी 1950 तक रहे |
संविधान बनने में पूरे 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे | 26 नवम्बर 1949 को संविधान कम्प्लीट हुआ | संविधान सभा में पेश किया गया | इस पर 284 सदस्यों के हस्ताक्षर हुये |
संविधान बनने के दो माह बाद पूरी तैयारी के साथ 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ | चूँकि हमारा संविधान गणतांत्रिक लोकतंत्र पर आधारित है, इसलिए 26 जनवरी 1950 को हमारा संप्रभु भारत देश गणतंत्रात्मक लोकतंत्र घोषित हुआ |
यहाँ समझने वाली बात यह कि बाबा साहब ने अनेकों देश के संविधान का अध्ययन कर रखा था | उन्होंने ब्रिटेन की तरह न तो पूर्णतयः लोकतान्त्रिक संविधान बनाया और ना ही यूएसए (अमेरिका) की तरह पूर्णतयः गणतान्त्रिक बनाया | हमारा संविधान गणतंत्रातात्मक लोकतन्त्र का हिमायती है | इसीलिए हमारा संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है , वशर्ते इसका पालन करवाने की जिम्मेदारी लेने वाली सरकार विधिपालिका न्यायपालिका और कार्यपालिका में पदाधिकारी लोग देशभक्त और ईमानदार हों |
26 नवम्बर 1949 को बाबा साहब ने देश के नेताओं को संविधान सुपुर्द करते हुए संसद में अपने भाषण में कहा था – –
संविधान कितना अच्छा हो वह बुरा साबित होगा, यदि संविधान को चलाने वाले लोग बुरे हैं और संविधान कितना कम अच्छा हो तो भी अच्छा साबित होगा यदि उसको चलाने वाले लोग अच्छे हैं |
26 जनवरी 1950 को अंग्रेजी शासन सत्ता का पावर ट्रान्सफर होकर हम भारतीयों के हाथ में आ गया | अब हमारा देश स्वतंत्र है |
आज 26 जनवरी 2025 को 75वें गणतंत्र दिवस की सभी देशवासियों इष्टमित्रों व उपासक एवं उपाशिकाओं को ढेर सारी बधाईयां एवं शुभकामनाएं।
🌻 जय भीम जय संविधान 🌻

डी डी दिनकर मैनेजर
अध्यक्ष बीएसआई
चमन गंज फफूंद
जिला- औरैया यूपी 206247
9415771347

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