मूकनायक/देश
राष्ट्रीय प्रभारी ओमप्रकाश वर्मा
✍🏻✍🏻
बुद्धि जब हड़ताल पर होती है तो जुबान ओवरटाइम काम करती हैं या ऐसे भी कह सकते हैं कि जिसकी बुद्धि ही विपरीत और विकृत है, वह चाहे जितना उपदेश सुन ले, उसकी मूढ़ता में बढ़ोतरी ही होगी। जिस गुरु से युधिष्ठिर ने शिक्षा पाई, उसी से दुर्योधन ने भी ज्ञानार्जन किया, लेकिन दोनों में रात और दिन का फर्क था।
ग्राह्मता (acceptability) की वजह से एक युधिष्ठिर बन गया और दूसरा दुर्योधन। विकृत मस्तिष्क से स्वीकार किया गया ज्ञान व्यक्ति की मोह-मूढ़ता को बढ़ाता है और सद्बुद्धि से ग्रहण किया गया ज्ञान अंतः करण के बंद दरवाजों को खोल देता है; उसे अन्तर्- दृष्टि का स्वामी बना देता है..
लेखक
बिरदी चंद गोठवाल, नारनौल
प्रदेश प्रभारी मूकनायक, हरियाणा